चूँ-चूँ कर के गीत सुनाती,
मेरी प्यारी चिड़िया रानी।
फुदक फुदककर इठला जाती,
मेरी प्यारी चिड़िया रानी ।
गोल गोल अपनी आंखों से,
प्रेम की भाषा सिखला देती
जैसे उसको हाथ लगाऊं
फुर्र हो जाती चिड़िया रानी।
मन में नहीं किसी से बैर,
दूर देश का करती सैर।
छोटी है पर काम अनोखे,
सिखला जाती चिड़िया रानी।
जाति पात का भेद न जाने
खा लेती हर खेत के दाने।
हम इंसान सीख ले इनसे,
भेद बताती चिड़िया रानी।
।।अर्चना द्विवेदी।।
Nice lines👌💐
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