**फूल**
आंधी तूफानों में डट कर,
हर मौसम की पीड़ा सहकर ।
सीख यही दे जाता है ,
फूल सदा मुस्काता है।।
प्रभु के चरणों में हो अर्पण,
प्रियतम से गजरों में सज कर ।
वीरों की अभिलाषा बनकर ,
सपने नए सजाता है ।
फूल सदा मुस्काता है।।
टूट के अपनी डाली से ,
बिछड़ के अपने माली से ।
आगे बढ़ मंजिल को छू लो ,
राहें नई दिखाता है।।
फूल सदा मुस्काता है
गुरु बना लो फूलों को,
हृदय बसा लो शूलों को।
खुद जलकर उजियारा कर दे
ऐसा दीप जलाता है।।
फूल सदा मुस्काता है।।
...................
सदा मुस्कुराते रहिये
।। अर्चना द्विवेदी।।
फ़ोटो:साभार गूगल
आंधी तूफानों में डट कर,
हर मौसम की पीड़ा सहकर ।
सीख यही दे जाता है ,
फूल सदा मुस्काता है।।
प्रभु के चरणों में हो अर्पण,
प्रियतम से गजरों में सज कर ।
वीरों की अभिलाषा बनकर ,
सपने नए सजाता है ।
फूल सदा मुस्काता है।।
टूट के अपनी डाली से ,
बिछड़ के अपने माली से ।
आगे बढ़ मंजिल को छू लो ,
राहें नई दिखाता है।।
फूल सदा मुस्काता है
गुरु बना लो फूलों को,
हृदय बसा लो शूलों को।
खुद जलकर उजियारा कर दे
ऐसा दीप जलाता है।।
फूल सदा मुस्काता है।।
...................
सदा मुस्कुराते रहिये
।। अर्चना द्विवेदी।।
फ़ोटो:साभार गूगल
No comments:
Post a Comment