माँ हूं .......
समझने लगी हूँ हर माँ का दर्द ,
दिल के टुकड़े से जुदाई का दर्द ......
कलेजा पत्थर सा किया होगा ,
कोने में चुपके से आंसू बहाया होगा!
अपने चेहरे में तेरा चेहरा तलाशा होगा,
गीले तकिए पे भुला देती है अपनी मर्ज!!
माँ हूं समझने लगी हूँ हर ....माँ का दर्द
दिल के टुकड़े से जुदाई का दर्द!!
मेरे हिस्से की मिठाई को संजो कर रखना ,
एकटक भीगी पलकों से मुझे विदा करना!
एक टीस सी उठती रही हर बार ही दिल में,
इतनी सुकोमल सह्रदय माँ क्यों हो गई है आज सर्द !
मां हूं समझने लगी हूं हर ....माँ का दर्द,
दिल के टुकड़े से जुदाई का दर्द!!
मां की ममता मां का आंचल ,
बेलौस है आंखों का दर्पण !
नित नई बुलंदी को छू लूं ,
सजदे में मांगती है हर पल,!!
मां तू ने निभाया अपना फर्ज
मां हूं समझने लगी....मां का दर्द',,
दिल के टुकड़े से जुदाई का दर्द!!!
।।अर्चना द्विवेदी।।
समझने लगी हूँ हर माँ का दर्द ,
दिल के टुकड़े से जुदाई का दर्द ......
कलेजा पत्थर सा किया होगा ,
कोने में चुपके से आंसू बहाया होगा!
अपने चेहरे में तेरा चेहरा तलाशा होगा,
गीले तकिए पे भुला देती है अपनी मर्ज!!
माँ हूं समझने लगी हूँ हर ....माँ का दर्द
दिल के टुकड़े से जुदाई का दर्द!!
मेरे हिस्से की मिठाई को संजो कर रखना ,
एकटक भीगी पलकों से मुझे विदा करना!
एक टीस सी उठती रही हर बार ही दिल में,
इतनी सुकोमल सह्रदय माँ क्यों हो गई है आज सर्द !
मां हूं समझने लगी हूं हर ....माँ का दर्द,
दिल के टुकड़े से जुदाई का दर्द!!
मां की ममता मां का आंचल ,
बेलौस है आंखों का दर्पण !
नित नई बुलंदी को छू लूं ,
सजदे में मांगती है हर पल,!!
मां तू ने निभाया अपना फर्ज
मां हूं समझने लगी....मां का दर्द',,
दिल के टुकड़े से जुदाई का दर्द!!!
।।अर्चना द्विवेदी।।
मां हूं समझने लगी...मां का दर्द अति सुंदर लाइन
ReplyDeleteधन्यवाद सुमन जी
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