*याद*
तुझको खोकर मोहब्बत को समझा है अब
,बूँद आंखों में छुप कर खुशी बन गई।।
साथ था जब तेरा कद्र ना कर सकी ,
बुझती लौ को हवा की भनक लग गई।।
कैसे होगी जमीं आसमां की कभी ,
सोच कर मेरी हसरत ठगी रह गई ।।
सूखे पत्तों सी थी जिंदगी ये मेरी ,
तेरी आमद खुशी की वजह बन गई ।।
ख्वाब में ही हमारा मिलन हो कभी ,
अब तो सजदे में ये बंदगी रह गई।।
याद आये मेरी गम न करना कभी,
हिज़्र की ज़िंदगी बेबसी बन गई।।
बूँद आंखों में छुप कर खुशी बन गई
।।अर्चना द्विवेदी।।
फ़ोटो:साभार गूगल
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