Wednesday, 30 January 2019

चिड़िया रानी


चूँ-चूँ कर के गीत सुनाती,
मेरी प्यारी चिड़िया रानी।
फुदक फुदककर इठला जाती,
 मेरी प्यारी चिड़िया रानी ।

गोल गोल अपनी आंखों से,
 प्रेम की भाषा सिखला देती 
जैसे उसको हाथ लगाऊं
 फुर्र हो जाती चिड़िया रानी।

 मन में नहीं किसी से बैर,
 दूर देश का करती सैर।
छोटी है पर काम अनोखे,
सिखला जाती चिड़िया रानी।

 जाति पात का भेद न जाने
 खा लेती हर खेत के दाने।
 हम इंसान सीख ले इनसे,
 भेद बताती चिड़िया रानी।
                                                  ।।अर्चना द्विवेदी।।

Thursday, 17 January 2019

आशिक़ी



कल अचानक मुझे ख्वाब में तुम मिले,
सांसें रुकने लगीं आँखें झुक सी गईं 

 तेरी बाहों में है मेरे दिल का सुकून 
तुम जुदा क्या हुये जिन्दगी छिन  गई।


 होंठ हिलते नहीं दिल संभलता नहीं 
प्रेम की एक छुअन धड़कनें थम गईं

 अब तो आलम ये है नींद आती नहीं

सांसें रुकने लगीं आँखें झुक सी गईं 

 मैं हूँ साया तेरा दूर कैसे रहूँ 
चाँद से दूर कब चाँदनी थी हुई

ख्वाब में ही मिलें मयकदे की तरह 
होश में ना रहे गुफ्तगू हो गई

 ये बिछड़ना और मिलना खयालों में हो

रूह की आशिकी रूह से हो गई।।
                                    ।।अर्चना द्विवेदी।।
फ़ोटो:साभार गूगल

Wednesday, 16 January 2019

चिड़िया



                   चिड़िया आओ आंगन मेरे 
                    यहीं बना लो अपना घर 
जोड़ जोड़ के तिनका तिनका
बन जाएगा सुंदर घर

                  चीं-चीं कर के गीत सुनाओ
                  फुदक फुदक कर  कर नाचो कूदो
आये कोई सखी सहेली
 झट उड़ जाओ शरमा कर

                चावल के दाने चुग लेना  
                 पी लेना तुम ठंडा पानी  
याद सताए जब अपनों की
 उड़ जाना पर फैलाकर

              सूरज से पहले उठ जा ना 
              जीवन में आलस ना करना
प्रेम परिश्रम  सिखला देना
आपस के मतभेद भुलाकर

Friday, 11 January 2019

ख़्वाहिश


       कोई हमदम मिले हो मोहब्बतमुझे,
       झूठे अफशां सुनाने से क्याफायदा।

       दिल में हो इक तड़प आँखें बेचैन हो,
       बिखरे सपने सजाने से क्या फायदा ।।

       चंचल भंवरे का गुंजन न हो बाग में ,,
       फिर  कली मुस्कुराने से क्या फायदा।।

      झूमे बहती नदी पी मिलन को चले,,
      मोड़ दे रुख हवाओं का क्या फायदा ।।

      राहें मुश्किल सी  हो दूर मंजिल लगे,,
      जुगनू के चमकने से क्या फायदा।।

      हो नशा आंख में आपकी याद का ,,
      मयकदे में बहकने से क्या फायदा।।

Wednesday, 9 January 2019

प्रकृति की सीख




सीखो पर्वत सा तुम उठना ,
यदि मंजिल तेरी चाहों में ।
बन अडिग अटल तुम डटे रहो,
पल पल प्रतिकूल हवाओं में ।

 सीपों से बिखरे मोती हों,
 उल्लास की लहरें अंदर हों।
अभिमान की रेखा छू न सके ,
धीरज का अगम समंदर हो ।

सुख दुख का संगम जीवन है,
खुशबू से महकता उपवन है।
जीवन कितना भी छोटा हो,
 पर सुरभित दिव्य सुमन है


मंजिल की डगर मुश्किल हो भले
चलते जाना रुकना न कहीं 
नवजीवन की एक बूंद बनो 
नदियाँ देती संदेश यही 

सोने चांदी से कोख भरी 
गंगा यमुना वक्षस्थल में
तूफ़ां कंपन बिजली हो गिरी
तुम धैर्य धरो अंतस्थल में 

पर्वत नदियाँ धरती सागर ,
उर में उमंग भर देते हैं।
मन में वे नई चेतना से ,
उल्लास नया कर देते हैं।।।

Tuesday, 8 January 2019

सच्ची चाहत

         

               प्यार की राह है मुश्किलों से भरी
                तुमने आवाज दी मुझको आना पड़ा ॥
 
               हाले दिल को सुनाऊं ये फितरत नहीं
              फिर भी तेरे लिए गीत गाना  पड़ा ॥

              प्रेम है वो अगन जलना चाहें सभी
            इसलिए मुझको भी ग़म उठाना पड़ा ॥

           सच्ची चाहत पे जन्नत का सुख छोड़ कर
           देवताओं को धरती पे आना पड़ा ॥

           सात सुर जब मिलें सुर का संगम बने
          भवरों को पुष्पों पर गुनगुनाना पड़ा ॥

             तेरे एहसास से मन में सिहरन उठे
             स्वप्न में भी मुझे मुस्कुराना पड़ा ॥

             प्यार की राह है मुश्किलों  से भरी
           तुमने आवाज दी मुझको आना पड़ा ॥

मिलन


कल अचानक मुझे ख्वाब में तुम मिले,
सांसें रुकने लगीं आँखें झुक सी गईं 

 तेरी बाहों में है मेरे दिल का सुकून 
तुम जुदा क्या हुये जिन्दगी छिन  गई। 


 होंठ हिलते नहीं दिल संभलता नहीं 
प्रेम की एक छुअन धड़कनें थम गईं

 अब तो आलम ये है नींद आती नहीं
 रूह में तेरी तस्वीर है बस गई।

 मैं हूँ साया तेरा दूर कैसे रहूँ 
चाँद से दूर कब चाँदनी थी हुई

ख्वाब में ही मिलें मयकदे की तरह 
होश में ना रहे गुफ्तगू हो गई

 ये बिछड़ना और मिलना खयालों में हो
रूह की आशिकी रूह से हो गई।।

Monday, 7 January 2019

तेरी याद


*याद*
तुझको खोकर मोहब्बत को समझा है अब 
,बूँद आंखों में छुप कर खुशी बन गई।।

साथ था जब तेरा कद्र ना कर सकी ,
बुझती लौ को हवा की भनक लग गई।।

 कैसे होगी जमीं आसमां की कभी ,
सोच कर मेरी हसरत ठगी रह गई ।।

सूखे पत्तों सी थी जिंदगी ये  मेरी ,
तेरी आमद खुशी की वजह बन गई ।।

ख्वाब में ही हमारा मिलन हो कभी ,
अब तो सजदे में ये बंदगी रह गई।।

याद आये मेरी गम न करना कभी,
हिज़्र की ज़िंदगी बेबसी बन गई।।

 बूँद आंखों में छुप कर खुशी बन गई
।।अर्चना द्विवेदी।। 
फ़ोटो:साभार गूगल

Saturday, 5 January 2019

प्रार्थना


 *प्रार्थना*

हम तो बालक है नादान,तेरी अपनी ही संतान ।

प्रभु जी कृपा करो,हम पर दया करो ।।

द्वेष, ईर्ष्या, रंग-रूप से मेरा न कोई नाता.,

 प्रेम की भाषा कोमल मन को चुपके से सहलाता ।

तुम से हीरे की है खान, तेरी कृपा से बने महान,

 प्रभु जी कृपा करो,हम पर दया करो।।

 धरती को आकाश बना दे,पर्वत बन जाए राई ।

संत जनों ने स्वर्णिम गान से तेरी महिमा गाई ।।

तेरा भूले ना एहसान,बन जाए सच्चे इंसान ।

प्रभु जी दया करो,हम पर कृपा करो।।

मां लक्ष्मी की छाया हो, मां शारदे जैसा सुर हो ।

त्याग तपस्या गौरी जैसा ,प्रण ऐसा उर में हो।।

सदा करे तेरा गुणगान,बड़ों का करते हम सम्मान 

प्रभु जी कृपा करो, हम पर दया करो।।
                                           ।।अर्चना द्विवेदी।।
फ़ोटो:साभार गूगल

Friday, 4 January 2019

तितली


 रंग  बिरंगे पंखों से  उड़  आती तितली,
इन्द्रधनुष  सी  चादर  ओढ़े  आती तितली ।
फूलों पर सुन्दर करतब दिखलाती तितली ,
मौज  मनाती , सुंदर रंग दिखाती तितली ।

 मुश्किल में लड़ती ना शीश झुकाती तितली ,
काम  निरंतर  करके खुश हो जाती तितली ।
मेहनत का फल होता मीठा सदा , समझ लो 
पी पराग , यह  कानों  में कह जाती तितली ।।

वन उपवन की शोभा जब उड़ती हो तितली,
 घर आंगन में आभा जब दिखती हो तितली ।
बच्चों के  सपनों  में जब मिलती हो तितली ,
जीवन की आशा बन सुख सिलती हो तितली ।।

सुंदरता की मूरत सबकी प्यारी तितली, 
चंचलता से भरी है सबसे न्यारी तितली।
 हे प्रभु ! ऐसा करो कि मैं बन जाऊं तितली,
 बच्चों के संग खेलूँ , बन इतराऊँ तितली।।
           ।।अर्चना द्विवेदी।।
फ़ोटो: साभार गूगल

माँ का दर्द

माँ हूं .......
समझने लगी हूँ हर माँ का दर्द ,
दिल के टुकड़े से जुदाई का दर्द ......

कलेजा पत्थर सा किया होगा ,

कोने में चुपके से आंसू बहाया होगा!
अपने चेहरे में  तेरा चेहरा तलाशा होगा,
 गीले तकिए पे भुला देती है अपनी मर्ज!!

माँ हूं समझने लगी हूँ हर ....माँ का दर्द

दिल के टुकड़े से जुदाई का दर्द!!

मेरे हिस्से की मिठाई को संजो कर रखना ,

एकटक भीगी पलकों से मुझे विदा करना!
एक टीस  सी उठती रही हर बार ही दिल में,
 इतनी सुकोमल सह्रदय माँ क्यों हो गई है आज सर्द !

मां हूं समझने लगी हूं हर ....माँ का दर्द,

दिल के टुकड़े से जुदाई का दर्द!!

मां की ममता मां का आंचल ,

बेलौस है आंखों का दर्पण !
नित नई बुलंदी को छू लूं ,
सजदे में मांगती है हर पल,!!
मां तू ने निभाया अपना फर्ज 

मां हूं समझने लगी....मां का दर्द',,

दिल के टुकड़े से जुदाई का दर्द!!!
   ।।अर्चना द्विवेदी।।

Thursday, 3 January 2019

फूल

**फूल**

आंधी तूफानों में डट कर,

 हर मौसम की पीड़ा सहकर ।
सीख यही दे जाता है ,
फूल सदा  मुस्काता है।।

 प्रभु के चरणों में हो अर्पण,

 प्रियतम से गजरों में सज कर ।
वीरों की अभिलाषा बनकर ,
सपने नए सजाता है ।
फूल सदा मुस्काता है।।

 टूट के अपनी डाली से ,

बिछड़ के अपने माली से ।
आगे बढ़ मंजिल को छू लो ,
राहें नई दिखाता है।।
 फूल सदा मुस्काता  है

 गुरु बना लो फूलों को,

 हृदय बसा लो शूलों को।
 खुद जलकर उजियारा कर दे
 ऐसा दीप जलाता है।।
 फूल सदा मुस्काता है।।
...................
सदा मुस्कुराते रहिये
       ।। अर्चना  द्विवेदी।।
फ़ोटो:साभार गूगल

दोस्ती

दोस्ती की एक नई पहचान होनी चाहिए
सुख में दुख में साथ का अरमान होना चाहिए ।

इंद्रधनुष के रंग जैसे , तितलियों के पंख जैसे ,
शरद ऋतु में धूप जैसे, ग्रीष्म ऋतु की  छांव जैसे

सोच में तो बाज सी उड़ान होनी चाहिए
सुख में दुख में साथ का अरमान होना चाहिए ।

साथ सुन्दर पलक जैसा , कंठ में मृदु गान हो,
हों कन्हैया या सुदामा , होठ पर मुस्कान हो।

कैसे भी हालात हो सम्मान होना चाहिए,
सुख में दुख में साथ का अरमान होना चाहिए।

दूरियां कितनी भी हों जज्बात फिर भी कम ना हों

क्रोध , ईर्ष्या , द्वेष कितना फिर भी कोई ग़म ना हो

दोस्ती का रंग एक समान होना चाहिए
 सुख में दुख में साथ का अरमान होना चाहिए ।

अब क्या कहूँ , कैसे कहूँ यादों का दरिया बह चला
सीप से मोती की चाहत कर रहा ये मनचला

दोस्त को हर दोस्त का रहमान होना चाहिए
सुख में दुख में साथ का अरमान होना चाहिए ।।
                         ।।अर्चना द्विवेदी।।
फ़ोटो:साभार गूगल

Wednesday, 2 January 2019

बेटियां



कलियाँ उपवन में महफूज़ न हो अगर,

बागबां का गुलिस्तां उजड़ जाएगा।।

हर कली मुस्कुराये वो अवसर तो दो,
आसमाँ से फरिश्ता उतर आएगा।।

रब की रहमत बरसती रहेगी सदा,
बेटी-बेटो में अंतर न रह जायेगा।।

बेटियाँ चाँद सूरज सी चमकेंगी जब,
स्वर्ग आकर धरा पर ही बस जाएगा।।

सर पे आँचल न हो भाल सूना लगे,
माँ,बहन,बेटी किसको तू कह पायेगा।।

मां का पूजन करो बेटी इज्जत बने,
 तेरा घर देव मंदिर सा बन जाएगा।।

Tuesday, 1 January 2019

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
अलविदा दिसम्बर तेरे लिए ,
स्वागत है अब जनवरी का ।
कुछ खट्टा  मीठा सा अनुभव ,
तुम से मिल गया  जिंदगी का।

चेहरे कुछ दिखते नए नए,
कुछ अपने लगते बिछड़ गए ।
यह मंच अजनबी सा लगता ,
कुछ साथ चले कुछ पिछड़ गये ।

स्वीकार हृदय से अब कर लो ,
शाश्वत प्रकृति का परिवर्तन ।
जो बीत गयी उसको छोड़ो ,
जीवन में भर लो नव नर्तन ।

नव वर्ष को उत्सव से भर दें
और प्यार से अभ्यागत कर लें ।
आने वाले नवागन्तुक को,
स्वागत में शुभ प्रभात कह दें ।

सब शिकवे गिले भूल कर हम,
जा रहे को धन्यवाद कह दें ।
सब मिल कर शुभ कामना करें ,
नव वर्ष का हम स्वागत कर लें ।।