Thursday, 16 May 2019

पापा मैं पराई नहीं


www.dwivediarchana.blogspot.com पर आप का बहुत-बहुत स्वागत है।

अक़्सर लोगों को कहते सुना है कि बेटे माँ के और बेटियाँ पिता के क़रीब ज्यादा होती हैं।इस बात का साक्ष्य मैं स्वयं हूँ कि मैं भी अपने पापा के सबसे क़रीब और लाडली बेटी हूँ।जो काम माँ के होते हैं वो सब मेरे पापा ने मेरे लिए किया..अपनी अल्प सी कमाई में मेरी पसंद की फ्रॉक लेना,बालों में कंघी करना,स्कूल के लिए तैयार करना और मेरे बेहतर भविष्य के लिये जो सम्भव हो सका सब किया।एक बेटे से बढ़कर प्यार और दुलार किया।आज मेरे पापा को मेरी जरूरत है पर इस समाज की कुछ रीति-रिवाजों ने मुझे आपसे पराया कर दिया है।फिर भी मुझसे जितना हो सकेगा उतना हरसंभव करूँगी मेरे प्रिय पापा.....मैं हर पल आपके साथ हूँ



माना दुनिया की नज़रों में,

मैं हुई पराई तुमसे हूँ.......।
इन रस्मों के बंधन में घिरी,
अब कोसों दूर मैं तुमसे हूँ।।

मैं बेटी थी........मैं बेटी हूँ,

तेरे आँगन की फुलवारी हूँ।
तेरे स्नेह ,त्याग की बूंदों से,
सिंचित महकी सी क्यारी हूँ।।

बेटों से  ज्यादा  प्यार  मेरी,

झोली   में  तुमने  डाला  है।
तुम त्याग,स्नेह की मूरत हो,
नाज़ो से  मुझको  पाला है।।

माँ की ममता सा स्नेह लिए,

बचपन में झुलाया  बाहों में।
खुद राह चुन लिए शूल भरे,
पर फूल मिले मुझे राहों  में।।

बेटी-बेटों  के  अंतर  का ,

कभी भेद नहीं  जाना मैंने।
है गर्व मुझे इस जीवन पर
तुझे पिता रूप पाया  मैंने।।,

ये सच है  एक पिता  बेटी ,

का रिश्ता अनुपम होता है।
होती  बेटी  लाचार  बहुत,
मजबूत हृदय जब रोता है।।

कुलदीप नहीं तेरे वंश का मैं,

पर  इतना   वादा  तुझसे  है।
हर कठिन राह में साथ मेरा,
पाओगे  इरादा खुद  से  है।।

हे प्रभु! इतनी विनती  मेरी,

स्वीकार हृदय से कर लेना।
हर जन्म में गोद यही पाऊँ,
अधिकार पुत्र का दे  देना।।

                        (अर्चना द्विवेदी)

मेरी अन्य कवितायें पढ़ने के लिए क्लिक करे

6 comments: