Sunday, 20 October 2019

माँ-बेटी


जब याद सताती है माँ की
अपलक आईना तकती हूँ
मैं अपनी  माँ के  जैसी  हूँ
सच अपनी माँ के जैसी हूँ।।

ममतामयी चेहरा,निश्छल आँखें
वात्सल्य  भरा  है  सीने  में
निःस्वार्थ भाव,कोमल  बाहें
आनंद  मिले  फिर  जीने  में।।

हर सुबह सुनहरी किरणों संग
मन में उमंग  भर उठती  हूँ
मैं  अपनी  माँ के  जैसी  हूँ
सच अपनी माँ के जैसी  हूँ।।

अपनी  बगिया के  फूलों को 
दुःख की बदली से बचा सकूँ
सपनों के  अगम समंदर  को
सुंदर  नयनों  पर  सजा  सकूँ।।

मिल सपनो में अपने प्रभु से
वरदान  ये  माँगा करती  हूँ
मैं  अपनी  माँ  के  जैसी  हूँ
सच!अपनी माँ के जैसी हूँ।।

माँ मुझे मिली क़िस्मत चमकी
ममता पाकर  आभा  दमकी
माँ त्याग, तपस्या  की  मूरत
भगवान  की  दूजी है  सूरत।।

माँ-बेटी का रिश्ता अनुपम
ये सोच मैं हर्षित  होती  हूँ
मैं अपनी  माँ के  जैसी  हूँ
सच!अपनी माँ के जैसी हूँ।।
                ।।  अर्चना द्विवेदी।।

1 comment:

  1. Very nice thought about Maa
    मां से बढ़कर कोई नहीं है इस जग में

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