Sunday, 27 October 2019

दीप पर्व दीपावली


दीप पंक्तियों में सज धज कर 
मन  ही  मन  इठलायें.....
कितनी सुखद मनोहर बेला 
सिय  प्रभु  अवध  में  आये।।

तन मन सबके हर्षित पुलकित,
पावन  घड़ी   सुमंगल  आज ।
सजी दुल्हन सी देव अयोध्या ,
पूर्ण  हुआ  शापित  वनवास।।

निरख रहीं ममता प्रिय छवि को
 कौशल  पति  हितकारी  की।
कंचन  कोमल  काया दमकी ,
जनक  सुता  सुकुमारी   की ।।

झर झर अश्रु  बहे  उर्मि  के ,
देख लखन प्रीतम को पास।
उर  अंतस  में  हुई  रोशनी ,
कोटि दीप दृग जलते आज।।

द्वार सजे तोरण हो उत्सुक,
आँगन खिलती रंग रंगोली।
सुख  वैभव  ऐश्वर्य संग  में ,
चढ़कर आती लक्ष्मी डोली।।

आओ मिल जुल दीप जलाएं,
द्वेष कलुष का तम मिट जाए।
सत्य  राम,  सुंदरता   सीता ,
बन प्रतीक कौशल पुर आएं।।

प्रथम दीप वीरों की ख़ातिर,
दूजा  माँ के  चिर  वंदन  में।
सजे दिवाली,खिले दिवाली,
दीप जले फिर  अन्तर्मन में।।
                     ।।अर्चना द्विवेदी।।

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