Wednesday, 30 October 2019

तुम बिन फ़ीकी रही दिवाली



तुम बिन फ़ीकी रही दिवाली

लाल बिना घर सूना सूना
माँ न चाहे ख़ुशियाँ  छूना।
धैर्य समंदर  टूट सा  गया
कोना कोना बना सवाली।।

आया नहीं  आँख का  तारा 
पिता को है जो सबसे प्यारा।
व्याकुल बाहें  चुप  हैं  रस्ते
रहा उदास यूँ घर का  माली।।

मुन्ना  मुनिया बहन बेचारी
राह तकें दिन रात तुम्हारी।
द्वारे-द्वारे ख़ुशियाँ  बिखरीं
इस घर पर छाई थी काली।।

दीप जले लाखों इस जग में
किंतु   अंधेरा  मेरे   मग  में।
तुम्हीं उजाला,तुम आकर्षण
तुम  मेरे  सिंदूर  की  लाली।।

आये नहीं मलाल न  मुझको,
देश से सच्चा प्यार है तुमको।
कर दूँगी परित्याग  सुखों का,
गले लगाकर दुःख की डाली।।

सीमा पर से  जब  घर आना
साथ में विजय  संदेशा लाना।
दीप जलाऊँगी  चुन चुन कर
स्वर्ग हो घर चहके खुशहाली।।

मातृभूमि  से न  कुछ बढ़कर
मान मिले इस पर ही लुटकर।
गर्व मुझे हूँ तेरी संगिनी......
तुम्हीं से  भारत  वैभवशाली।।

तुम बिन फ़ीकी रही दिवाली
             ।।अर्चना द्विवेदी।।
फ़ोटो:साभार गूगल

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