पढ़िये भगवान शिव के सोलह पवित्र नामों से युक्त शिव की आराधना
करती हूँ गुणगान मैं भोले
शम्भू ,शंकर नाथ की।
वेदों और पुराणों में है
महिमा महाकाल की।।
सृष्टि सृजन के आदि स्रोत
ये ज्योतिष के आधार हैं।
सौम्य प्रकृति व रौद्र रूप
लय-प्रलय महासंहार हैं।।
शशिशेखर ,शिव एक तपस्वी
गले वासुकि की माला।
भस्म लेप श्रृंगार है अतिप्रिय
पिए हलाहल विष प्याला।।
पति परमेश्वर आदिशक्ति के
नीलकण्ठ हैं धारी ।
हुआ वियोग सती माता का
किया तांडव भारी।।
वज्र, कृपाण, पाशु हैं आयुध
पशुपति, कैलाशी शिव के।
ज्ञान ,साधु , वैराग्य , त्याग,
कइ रूप कपर्दी ,गिरिप्रिय के।।
मंत्र-ध्यान प्रिय बिल्वपत्र से
मोक्ष मार्ग खुल जाता है।
मृत्युंजय के नाम मात्र से
पाप -दोष धुल जाता है।।
हे !सुरसूदन , हे! परशुहस्त
ये भेंट मेरी स्वीकार करो।
शाश्वत सत्य देव अज रूपी
तारक अंगीकार करो।।
।। अर्चना द्विवेदी।।
फ़ोटो:साभार गूगल
एक प्रयास अपनी बोली अवधी में पढ़िए-
कजरी
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