शिक्षक वो आभूषण जिसका कोई मोल नहीं होता
धारण कर ले जो जीवन में भाग्य नहीं उसका सोता।
संचित ज्ञान से सिंचित करता अमिट स्नेह बरसाता
ज्ञान के सागर में नहला यह जीवन पार लगाता।
स्वयं दीप बन कर जलता पर हमें प्रकाशित करता
उठा धूल से बना फूल , नव सुरभि सुवासित करता।
अक्षर अक्षर हमें सिखाकर प्रगति की राह दिखाता
बाहर से मृदु थाप लगा जीने का हुनर सिखाता।
चुका सका न कोई आज तक एहसानों का बदला
शिक्षक है वह दर्पण जिसमें मन हो जाता उजला।
सूरज चांद सितारे जिसकी छवि से फ़ीके लगते
सृष्टि के सारे कण कण जिसकी महिमा गाते फिरते।
शिक्षक ज्ञान का सागर उसमें डूब के मोती चुन लो
सेवा कर , सम्मान हृदय रख , स्वप्न सुनहरे बुन लो।
।।अर्चना द्विवेदी।।
फ़ोटो:साभार गूगल
HappyTeachersDay
ReplyDeletereal tribute for trs
ReplyDeleteThankyou so much
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