धैर्य असीमित,हिम्मत अद्भुत हृदय संजोए रहते हम
गिरकर उठना,आगे बढ़ना लक्ष्य प्राप्ति दम भरते हम
चूक गए थोड़ी दूरी से इसका हमें मलाल नहीं
असफलता से हार मान लें उठता कोई सवाल नहीं।
सुनो चाँद तुम करो प्रतीक्षा आएगा वो सुंदर पल
धरा चाँद के सुखद मिलन से संवर उठेगा भावी कल
थाल सजाकर रखना द्वारे झिलमिल हीरक तारों से
पहुँचेगा फिर *यान* हमारा लेकर दुआ हजारों से।
ऐ चाँद तुम्हारे सीने पर फिर भारत ध्वज लहरायेगा
झूम झूम हर भारत वासी विजय का जश्न मनाएगा।
।। अर्चना द्विवेदी।।
गायिका से कवियत्री तक,प्रकृतिप्रदत्त गुण
ReplyDeleteगायिका से कवियत्री तक,प्रकृतिप्रदत्त गुण
ReplyDeleteकोटिशः आभार आपका
ReplyDeleteआप सबका स्नेह अनवरत बना रहे