
रमज़ान का पवित्र महीना,ईद का दिन जब पूरी दुनिया खुशियों के समंदर में डूबी हुई थी उसी पल भारत के शहर अलीगढ़ में एक मासूम बच्ची के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर नृशंस हत्या कर दी गयी।मन बहुत ही व्यथित और द्रवित है कि क्या हो गया है हमारे समाज को जहाँ चंद वर्षों की अबोध बेटियाँ भी असुरक्षित हैं।मेरे अश्रुपूरित शब्द उस मासूम कली को सच्ची श्रद्धांजलि हैं जो बिल्कुल निर्दोष थी.......😢😢
मासूम कली, नन्हीं सी जान के,
बचपन को पल में कुचल दिया।
दहलीज़ लाँघ निर्ममता की,
कोमल से तन को मसल दिया।।
क्या दोष था निश्छल आँखों का?
वहशीपन ने जिन्हें फोड़ दिया।
किंचित सी दया न हृदय जगी..
मानवता का संग छोड़ दिया।।
उफ़! कितनी पीड़ा-दर्द छुपा,
होगा मासूम के क्रंदन में।
हो गया पतन नैतिकता का,
एहसास हुआ उस रुदन में।
लग जाती धूप तनिक तन को,
माँ आँचल से ढक लेती थी।
लगती खरोंच बस नाम मात्र,
नयनों में स्नेह भर देती थी।।
कुछ पल ममता से दूर हुई,
नर गिद्ध शिकारी से अंजान।
तड़पी सिसकी हर पल होगी,
नर भक्षी बने थे वो हैवान।।
तेज़ाब फेंक उस गुड़िया की,
अस्मिता को नोंच-नोंच डाला।
हे प्रभु! तू क्यों है मूक बधिर,
उस पल क्यों अंत न कर डाला।।
दुष्टों के क्रूर कुकर्मों से,
धरती बोझिल सी होने लगी
नारी अस्तित्व है संकट में,
बेटियाँ खौफ़ से डरने लगी।।
अब सज़ा क़ैद से होगा क्या,
दो चार दरिंदे कम होंगे ।
बन जाति धर्म के झगड़े फिर,
इस राष्ट्र की नींव हिला देंगे।।
कलुषित विचार व जाति धर्म,
के द्वेष को कम करना होगा।
शिक्षित समाज, संस्कारवान,
पीढ़ी का दम भरना होगा।।
अपराध मुक्त हो भारत वर्ष,
आओ मिल कर संकल्प करें
स्वछंद विचर लें माँ-बहनें,
एक स्वस्थ समाज की नींव धरें.....
(अर्चना द्विवेदी)😢
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True facts of society
ReplyDeleteTrue Facts
ReplyDeleteThanks अंकित जी
ReplyDeleteक्रन्दनकारित,सजीव एवं स्पष्ट चित्रण!
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteकविता अपने उद्देश्य मेंं पूर्णतः सफल!
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteनिःशब्द
ReplyDeleteधन्यवाद
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