भारत देश विविधताओं का,
ऋतुएँ रंग-बिरंगी.....रे
धरती सज गयी दुल्हन जैसी,
मौसम हुआ बसंती....रे।
खेतों में फैली पीली चादर,
महक उठी हर डाली...रे
आम्र तरु लद गए बौर से,
चहुँ ओर खिली हरियाली रे।
कलियों पर मादकता छाई,
फ़सलें स्वर्ण सी चमकी रे,
रंग-बिरंगी तितलियाँ बहकी
अलि पर छाई मस्ती ...रे।
धूप गुनगुनी,पवन फागुनी,
प्रेम अगन भड़काए...रे।
भरे सरोवर,कूके कोकिला,
विरहित मन तड़पाये...रे।
मिलकर गाओ राग मिलन के,
मन हुआ गुलाबी पँछी....रे,
सखियों के संग राधा नाचे,
सुन कान्हा की बंसी ..रे।
स्वागत मधुमास का ऐसे करें,
कुछ मोती प्रेम का हम चुन लें।
पतझड़ आता हर जीवन में,
पर उम्मीद बसंत का न छोड़े।
।।।अर्चना द्विवेदी।।।
फ़ोटो:साभार गूगल
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