Wednesday, 27 February 2019

माँ के वीर सपूत

                    माँ लाल तुम्हारे जाग उठे,
                       सारी दुनिया ने देख लिया।
                        माया,ममता सब त्याग दिए,
                         वीरों का चोला पहन लिया।।

तेरा प्रेम बसा है नस नस में

   बस कर्ज़ चुकाना बाकी है।
    तेरा आँचल कोई छू न सके
       ये छप्पन इंच की छाती है।।

                  तेरा रौद्र रूप दुश्मन देखे

                   हमने ये मन में ठानी है।
                     लोहे के चने चबवा न दूँ
                     तो व्यर्थ ही मेरी जवानी है।।
माँ तनिक मेरी चिन्ता न करो,
   तेरा वरदहस्त मेरे सर पर है।
    हम मिट जायें वसुधा के लिए
     एहसान सदा तेरा मुझ पर है।।

                  हर व्यूह शत्रु का तोड़ेंगे,

                    संकल्प ये मन में हैं पाले।
                      हम शिवा भरत की संतानें
                        शावक के दंत भी गिन डालें।।

हर जन्म में तेरा लाल बनूँ,

  सम्मान पे तेरे लुट जाऊँ।
    तेरी दर पे शीश झुकाने का,
      वरदान प्रभु से ले आऊँ।।
            ( अर्चना द्विवेदी)
फ़ोटो:साभार गूगल

Monday, 25 February 2019

भारत माँ

माँ छोड़ करुण वेदना आज
रण भेरी की हुंकार भर।
बेटी में रूप धरो दुर्गा
तुम दुश्मन का संहार करो।।

अब बहुत हुआ ममता दुलार

सब पूत सपूत नहीं होते।
सिंहों के वेश में हैं गीदड़
सब बब्बर शेर नहीं होते।।

इतिहास साक्षी है अपना

जब जब तुम पर विपदा आयी।
लक्ष्मीबाई, काली बनकर
नारी की महिमा दिखलायी।।

अब द्वार देहरी के लांघो

घूंघट के पट खुल जाने दो।
चूड़ी कंगन का मोह नहीं
बस सीमा पर मुझे जाने दो।।

नारी नर से कम नहीं रही

ये दुनिया को दिखला देंगे।
हम एक शीश के बदले में
सौ शीश काटकर ला देंगे।।
                   (अर्चना द्विवेदी)
फ़ोटो:साभार गूगल

Thursday, 21 February 2019

जन्म दिवस की बधाई

सुन बिटिया तेरे आने से....

जीवन गुल से गुलज़ार हुआ

गुलदस्ते सा परिवार खिला
ममतामयी खुशबू फैल गयी
मेरी बिटिया तेरे आने से.....

सुंदर सूरत परियों जैसी

मुस्कान तेरी कलियों जैसी
हो मधुर राग स्वर लड़ियों में
कोयलिया तेरे गाने से....

मीठी बोली लगे बहुत भली

कानों में घुले मिश्री की डली
सब दुख हो जाते छू मंतर
नन्हीं सी परी के आने से....

तेरी छवि में बचपन को देखूँ

भूली बिसरी यादें सोचूँ
घर भरा है खेल खिलौनों से
प्यारी  गुड़िया तेरे आने से....

ये प्रेम भाव का सुखद माह

उल्लास भरे तेरे जीवन में
उम्मीद का सूरज अस्त न हो
संघर्ष की बदली छाने से....

मेरी बिटिया तेरे आने से....

                          ।।अर्चना द्विवेदी।।

Wednesday, 20 February 2019

शत शत नमन


शहीद दिवस की अश्रुपूरित श्रद्धांजलि...नमन उन चालीस जवानों को जिनकी वजह से आज हम सुरक्षित हैं।


ओ भारत माँ के वीर सपूतों,
जो तुमने ये बलिदान दिया।
हम   व्यर्थ  नहीं  जाने  देंगे,
दृढ़ निश्चय मन में ठान लिया।।

सम्पूर्ण देश है शोकाकुल,
घाटी  डूबी  है  उदासी में..
सौगंध ये मिलकर हम ले लें,
पीछे न हटें इस आँधी में।।

उस माँ के आँचल को देखो,
जो भीग गया है ममता से।
छिन गयी बुढ़ापे की लाठी,
इस अन्तरद्वेष विषमता से।

माथे की लाली सिसक उठी...
चूड़ी की खनक भी मौन हुई।
जो शकुन की थी पहचान बनी,
वो भाग्य नहीं अपसौन हुई।।

जब तक दुश्मन की छाती पर
चल जाये न  शमशीर  मेरी।
अपनों को खोने का ग़म क्या,
कैसे समझेंगे पीर मेरी।।

अब उठो देश की संतानों,
सीमा पर तेरी बारी है।
चीत्कार रही भारत माता,
भीषण रण की तैयारी है।

हम जन्मभूमि के मस्तक पर,
अब विजय का तिलक लगाएंगे।
हर वीर हृदय बलिदानी को,
सम्मान से शीश झुकायेंगे।।
                   अर्चना द्विवेदी
फ़ोटो:साभार गूगल

Thursday, 14 February 2019

प्रेम का इज़हार कर लूँ




                     
                     
                        प्रेम का इज़हार कर लूं.....

                       बन के बदली बरस जाऊँ,
                       तप्त मरु को सींच आऊँ।
मेघ का कर लूँ वरण मैं....
अश्रु का श्रृंगार कर लूँ।।

                        मन में पुष्पित इत्र महके,
                        मलय मद्धिम तन में बहके।
पाश का आभास कर मैं....
ज़िन्दगी गुलज़ार कर लूँ।।

                          प्रेम समझे मूक भाषा,
                          शब्द भरते हैं निराशा।
भूलकर सब विरह वेदन मैं....
गुलशन में बहार कर लूँ।।

                      लोक लज्जा त्यागना सब,
                      अंक में भरना मुझे जब।
प्रीत सच्ची सीख लूँ मैं.....
स्वयं पर उपकार कर लूं।।

                        श्वांसों में स्वप्न पराग लिए,
                          नयनों में राग-विहाग लिए।
तू मधुर गीत सुर संगम मैं....
हर दिवस  त्योहार कर लूँ।।

                       कौमुदी निरखे शशि को,
                       ज्यूँ निहारे क्षिति रवि को।
तू पतिंगा दीप बन मैं....
प्रेम का विस्तार कर लूँ।।

                     मैं आदि हूँ हो अन्त तुम,
                      मैं प्रिय तेरी प्रियतम हो तुम।
तू है नहीं मेरा कहीं मैं.....
कैसे ये स्वीकार कर लूँ।।
                              ( अर्चना द्विवेदी)
फ़ोटो:साभार गूगल

Sunday, 10 February 2019

बसंत ऋतु का स्वागत


भारत देश विविधताओं का,
ऋतुएँ रंग-बिरंगी.....रे
धरती सज गयी दुल्हन जैसी,
मौसम हुआ बसंती....रे।

खेतों में फैली पीली चादर,
महक उठी हर डाली...रे
आम्र तरु लद गए बौर से,
चहुँ ओर खिली हरियाली रे।

कलियों पर मादकता छाई,
फ़सलें स्वर्ण सी चमकी रे,
रंग-बिरंगी तितलियाँ बहकी
अलि पर छाई मस्ती ...रे।

धूप गुनगुनी,पवन फागुनी,
प्रेम अगन भड़काए...रे।
भरे सरोवर,कूके कोकिला,
विरहित मन तड़पाये...रे।

मिलकर गाओ राग मिलन के,
मन हुआ गुलाबी पँछी....रे,
सखियों के संग राधा नाचे,
सुन कान्हा की बंसी ..रे।

स्वागत मधुमास का ऐसे करें,
कुछ मोती प्रेम का हम चुन लें।
पतझड़ आता हर जीवन में,
पर उम्मीद बसंत का न छोड़े।
                              ।।।अर्चना द्विवेदी।।।
फ़ोटो:साभार गूगल

Monday, 4 February 2019

बेटी का दर्द

हर रूठी नजरों का सामना,
 मैं कैसे करूं?कुछ तो बोलो-
 क्या बेटी होना है गुनाह?
 विष व्याप्त रूढ़ियों को  तोड़ो।

 महकी जब उपवन में तेरे,
खुशियाँ न मंगलगान कहीं 
चेहरे पर खिंची दुख की रेखा,
होठों पर हंसी मुस्कान नहीं।
 मन निश्छल है, तन कोमल है,
बस द्वार हृदय के तुम खोलो

कुलदीप नहीं तेरे आंगन की,
 यह बात अखरती  है तुमको।
 दो कुल में उजाला है मुझसे,
 एहसास नहीं है क्या तुमको।
 यह लिंगभेद की मलिन सोच 
पावन गंगा में अब धोलो।

जब सूरज भेद नहीं करता,
 अपनी किरणें फैलाने में।
ईश्वर दो सोच नहीं रखता ,
अपनी कृपा बरसाने में।
 फ़िर तू! तेरी औकात है क्या?
 यह नियम सृष्टि का मत तोड़ो
                                     (अर्चना द्विवेदी)