मम्मी कब स्कूल खुलेंगे
पूछ रहा है लाल,
रास न आये घर का आँगन
कैसे करूँ धमाल??
सुबह प्यार से मुझे उठाती
होता था नाराज,
आज समझ में आया तेरा
प्यार भरा अंदाज।
मस्ती के दिन कब आएंगे
अब तो यही सवाल।
करते हुए पढ़ाई घर पर
हो जाता हूँ बोर,
जैसे है खो गया कहीं कुछ,
ढूँढ़ रहा चहुं ओर।
संगी साथी सब छूटे हैं
सुने न कोई हाल।
याद बहुत आता है मुझको
शिक्षा का वह द्वार,
जहां प्यार से देते गुरुजन
विद्या का उपहार।
हे ईश्वर कैसे भागेगा
यह कोरोना काल?
सब नियमों का पालन करके
जाऊँगा स्कूल,
मै भारत का हूं भविष्य ये
कैसे जाऊँ भूल।
पढ़ लिखकर वह काम करूँगा
चमके माँ का भाल।
अर्चना द्विवेदी
अयोध्या
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