Wednesday, 30 September 2020

ढाल बनेगी हर बेटी हम

 ढाल बनेगी हर बेटी हम

ऐसा बिगुल बजायेंगे

कामी,हवसी,पापी,वहशी

सबको सबक़ सिखायेंगे


कोमल मन वात्सल्य भरा पर

रौद्र रूप हो काली सा

अगर अस्मिता ख़तरे में तो 

हो प्रहार बलशाली सा

सुप्त चेतना को जागृत कर

सोयी शक्ति जगायेंगे


प्रगति नहीं करता वो अंचल

जहाँ सिसकती नारी हो।

घर-आँगन सड़कों,गलियों में

फैली बस लाचारी हो।।

निडर जियेंगी जहाँ बेटियाँ

हम वह देश बनायेंगे


सुनो बेटियों जंग लड़ो ख़ुद 

नव इतिहास बना डालो

नज़र शिकारी की तुम पर है

सिंह भुजाओं में पालो

हो संहार दानवों का तब

बेटी दिवस मनायेंगे।।

अर्चना द्विवेदी 

      अयोध्या

मम्मी कब स्कूल खुलेंगे???



मम्मी कब स्कूल खुलेंगे

पूछ रहा है लाल,

रास न आये घर का आँगन

कैसे करूँ धमाल??


सुबह प्यार से मुझे उठाती

होता था नाराज,

आज समझ में आया तेरा 

प्यार भरा अंदाज।

मस्ती के दिन कब आएंगे

अब तो यही सवाल।


करते हुए पढ़ाई घर पर

हो जाता हूँ बोर,

जैसे है खो गया कहीं कुछ,

ढूँढ़ रहा चहुं ओर।

संगी साथी सब छूटे हैं

सुने न कोई  हाल।


याद बहुत आता है मुझको

शिक्षा का वह द्वार,

जहां प्यार से देते गुरुजन

विद्या का उपहार।

हे ईश्वर कैसे भागेगा

यह कोरोना काल?


सब नियमों का पालन करके

जाऊँगा स्कूल,

मै भारत का हूं भविष्य ये

कैसे जाऊँ भूल।

पढ़ लिखकर वह काम करूँगा

चमके माँ का भाल।

                    अर्चना द्विवेदी

                         अयोध्या