Tuesday, 19 May 2020

फिर आएगी भोर सुहानी


श्रमिक हुए हैं पाहन  जैसे....
सूखा कमल सरोवर पानी ।
सड़कें,गलियाँ,निर्जन पथ सब ...
मूक सुनाते व्यथा ज़ुबानी...।।

छोड़ गाँव के अपनेपन को,
शहर  गए थे  नीड़  बसाने।
किसको था मालूम कि इक दिन
भटकेंगे सब,छोड़ ठिकाने।
जूझ रहे फूटी क़िस्मत से ,
प्रकृति करे अपनी मनमानी।।

तपती भूमि बनेगी आलय,
जलती  धूप बनेगी  आश्रय।
नन्हें   पुष्प  झुलस  जाएंगे,
जीवन देगा हर पल विस्मय।
पाँवों में  छाले,घोर  निराशा,
छोड़ चले हैं अमिट निशानी।।

भूख-प्यास अब गौड़ हो चुके, 
चौखट  शाला की  पाना  है ।
विस्मृत  हो  जायेंगे  ये  पल,
राह मिले बस घर जाना  है ।
निर्बल मन में है ये आशा.....
फिर आयेगी भोर सुहानी।।
          
   अर्चना द्विवेदी 
अयोध्या

  

Sunday, 10 May 2020

माँ क्या है??


*माँ क्या है??*

माँ प्रेम है,त्याग है,निःस्वार्थ बलिदान है
इस सृष्टि के सृजन की अमिट सी पहचान है

माँ दिन है,रात है,रोशनी का उपमान है।
दिवस में दीपावली,नवरात्रि का सम्मान है।।

माँ वाद है,संवाद है,भाषा की पहचान है।
तोतली मनुहार पर मीठी सी मुस्कान है।।

माँ इत्र है,मित्र है,संबंधों की शान है।
हर उपवन,हर पुष्प, हर देह की जान है।।

माँ आस है,विश्वास है,खुला आसमान है।
टूटे सुरों को जोड़ने की मधुमयी गान है।।

माँ शीतल है,निर्मल है,गंगा सी पावन है।
संस्कृति,संस्कार के हर गीत का गुणगान है।।

माँ अर्पण है,समर्पण है,सारे दुखों का दर्पण है।
आँचल न हो ममता का तो स्वर्ग नर्क समान है।।

माँ दीप है, नैवेद्य है,इष्ट का वरदान है।
महिमा लिखी है वेद में,ऋचा में विद्यमान है।।

माँ भजन है,कीर्तन है,गंगा सी पावन है।
अनमोल एक उपहार है जीवन का अभिमान है।।

माँ पूजा है,अर्चना है,आराध्य का प्रतिमान है।
हैं देवितुल्य माँ सभी सचमुच माँ महान है।।
      अर्चना द्विवेदी

Friday, 8 May 2020

कोई कहता


कोई कहता मुझमें शीतल
चंदा जैसी छाया है।
कोई कहता मुझमें दिनकर
जैसा ताप समाया है।।

किसी में सरिता सी चंचलता
जलनिधि सी गहराई है।
धैर्य धरा सा है अंतस में
अम्बर सी ऊँचाई है।।

कोई कहता मैं ख़ुशबू हूँ
फ़ूलों सी सुंदरता है।
काक नहीं पिक जैसी वाणी
जिसमें बहुत सरसता है।।

सोच रहे सब ही अंतस में
मुझसा कोई श्रेष्ठ नहीं।
सारी दुनिया लघु से लघु है
कोई मुझसे ज्येष्ठ नहीं।।

धरती,अम्बर,चाँद, दिवाकर
का जीवन परमार्थ है।
पर ये मानव बहुत अनूठा
हृदय भरे बस स्वार्थ है।।
     अर्चना द्विवेदी
     अयोध्या