Friday, 6 December 2019

नारी हूँ लाचार नहीं

अहा!
.........प्रसन्न  हुआ  मेरा  मन
सुनकर सुखद सूचना आज।
अन्यायी  को  दंड मिला  है
न्याय ने जीत का पहना ताज।।

गर्व  मुझे  उस  भाई  पर  है
जिसने दुष्कर खेल ये खेला।
है  प्रणाम  पावन  राखी  को
पल पल मुश्किल को है झेला।।

सुन लो दुष्ट, कुकर्मी,वहशी
जाग उठा  नर पौरुष  अब।
आँख उठा कर देख जरा तू
कर दें  राख जलाकर  सब।।

स्वीकार करो ये नमन मेरा
बेटियों  ने  दिया बधाई  है।
अवतार लिया यदु भूषण ने
हर घर की लाज  बचाई है।।

मैं भारत  माँ  की  बेटी  हूँ
अफ़सोस नहीं इक नारी हूँ।
अब हूँ सतर्क हर विपदा से
न समझो.... मैं  बेचारी हूँ।।
       अर्चना द्विवेदी

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