Tuesday, 31 December 2019

आंग्ल नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं


द्वारे ख़ुशियाँ  करें  प्रतीक्षा
भूलें हम  सब  बीती  बातें।
नये  वर्ष  का  नवल सवेरा
कर दें विस्मृत दुख की रातें।।

छूट गये  कुछ मित्र  पुराने
नए अपरिचित होंगे अपने।
टूट गये कुछ स्वप्न  सुनहरे
सजेंगे फिर से नूतन सपने।।

चादर  घनी  घिरी कुहरे  की
रूप धरा का बिखरा बिखरा।
पर  रिश्तों की  गरमाहट  से
जन जन का है चेहरा निखरा।।

बहुत से खट्टे-मीठे  अनुभव
मिले पुराने  वर्ष  से हमको।
मिलेंगी प्रतिपल नव सौगातें
नये साल का हर्ष है सबको।।

आज नया कल  हुआ  पुराना
अटल नियम है यही प्रकृति का
नया वर्ष जो  आज सुखद  है
कल हिस्सा  होगा स्मृति का।।

क्या कृत्रिम सपनों में जीना
बीती बातों  का क्या  रोना।
मूल मंत्र जीवन का यही है
वर्तमान  में  ख़ुशी  संजोना।।
              ।। अर्चना द्विवेदी ।।
                    अयोध्या

Saturday, 21 December 2019

एक धरती एक अम्बर

एक ईश्वर,एक धरती,ये 
अम्बर एक हमारा  है।
कहीं मंदिर कहीं मस्ज़िद
कहीं  ईशु  सहारा  है।।

क्यूँ बनते देशद्रोही तुम,
करा कर नित नये दंगे।
वतन जितना हमारा है 
वतन उतना तुम्हारा है।।

बहा लो  खून अपनों  का 
न होगा कुछ तुम्हें हासिल
पड़ोसी  देश  हँसता  है 
हमें कहकर बेचारा है........।।

कोई हिन्दू,कोई मुस्लिम 
कोई सिख है ईसाई है,
मनाते  ईद  होली  संग 
अजब अद्भुत नज़ारा है।।

न  तोड़ें  एकता  अपनी
तनिक छोटी सी बातों से,
निभा लें संस्कृति अपनी 
अडिग ये भाई चारा है।।

प्रेम  सौहार्द से  अपना 
रहा सदियों का नाता है।
रहे शांति सदा इस देश 
में इतना इशारा है.....।।
                             ।।  अर्चना द्विवेदी।।

Friday, 6 December 2019

नारी हूँ लाचार नहीं

अहा!
.........प्रसन्न  हुआ  मेरा  मन
सुनकर सुखद सूचना आज।
अन्यायी  को  दंड मिला  है
न्याय ने जीत का पहना ताज।।

गर्व  मुझे  उस  भाई  पर  है
जिसने दुष्कर खेल ये खेला।
है  प्रणाम  पावन  राखी  को
पल पल मुश्किल को है झेला।।

सुन लो दुष्ट, कुकर्मी,वहशी
जाग उठा  नर पौरुष  अब।
आँख उठा कर देख जरा तू
कर दें  राख जलाकर  सब।।

स्वीकार करो ये नमन मेरा
बेटियों  ने  दिया बधाई  है।
अवतार लिया यदु भूषण ने
हर घर की लाज  बचाई है।।

मैं भारत  माँ  की  बेटी  हूँ
अफ़सोस नहीं इक नारी हूँ।
अब हूँ सतर्क हर विपदा से
न समझो.... मैं  बेचारी हूँ।।
       अर्चना द्विवेदी

Sunday, 1 December 2019

अश्रुपूरित श्रद्धांजलि



नहीं जली केवल एक  बेटी,
नारी का सम्मान  जला  है।
जहाँ  नारियाँ  हुई  उपेक्षित,
असमय आई वहाँ  बला है।।

मानवता  हो  गयी है लज्जित,
रहा  नहीं  विश्वास  किसी  पे।
जाल  बिछा  थे  घात  में  बैठे,
क्रूर चलाक जो अति वहशी थे।।

क्या  लुप्त  हो  गई  पौरुषता,
जो देश की अद्भुत  थाती थी।
या रहे नहीं  अब  श्याम  यहाँ ,
जब चीर स्वयं बढ़ जाती  थी।।

चुप बैठो ना हुंकार  भरो......
अस्मिता न लुट पाए नारी की।
ये  सबला  सृष्टि सृजन  कर्ता
पहचान नहीं  लाचारी की...।।

जल  जाए  लंका रावण  की,
फिर  बेटियों का सम्मान बढ़े।
जीवन हो  सुरक्षित घर  बाहर,
एक सभ्य समाज की नींव गढ़ें।।
                    ।।अर्चना द्विवेदी।।
                           अयोध्या