सारी खुशियों दिल में समेटे, सदा हंसाता मेरा घर ,
आंधी तूफानों को सहकर ,हमें बचाता मेरा घर ।।
भाई बहन पिता माता की ,यादों का मीठा संसार
सारे सपने घर में पूरे , मन उड़ जाता पंख पसार
दादी मां की सुना कहानी ,अच्छी नींद सुलाता घर //
कंकड़ पत्थर तन में भर ,मजबूत बहुत बन जाता है
प्रेम ,त्याग ,बलिदान करो ,घर सच्ची राह दिखाता है
थकन मिटाता दिन भर की ,सम्मान बढ़ाता मेरा घर।।
आवासहीन कितने बच्चे ,दर बदर भटकते रहते हैं
गर्मी में लू-धूप , ठंड में ,शीतलहर सहते रहते हैं
एक स्वप्न है आंखों में तैरता , हो पाता एक मेरा घर ।।
तेरा , मेरा , अपना , पराया , स्वार्थ भरी बातें भूलो
वसुधा को समझो कुटुम्ब,सबको अपनाकर मन छू लो
हर जन का अपना घर हो, जब समझें भारत हैं मेरा घर।।
।। अर्चना द्विवेदी।।
फ़ोटो:साभार गूगल
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